किसने कहा कब कहा क्यों कहा
यह उसकी है खता
तु क्यों विचलित होता है
औरों के दिए हुए गम तले
तू क्यों दबता चला जाता है
जिंदगी के अनमोल क्षण
सहज ही क्यों खोता है
कभी किसी की बात चुभ जाए
या फिर दिल को ठेस पहुंचाए
जान करके उसे नादान
उसकी गलतियों को कर देना तु माफ
कर स्वयं को आज़ाद
क्योंकि यह बोझ तुझ पर ही पड़ेगा भारी
एक ही ज़िंदगी मिली है
चल कर ले थोड़ा इसका भी सम्मान
क्षमा दया विनम्रता
माना यह सारे गुण
देते हैं तुम्हारी सहनशीलता का भरपूर प्रमाण
पर सहनशीलता जब कमजोरी का आईना दिखलाए
और पानी सर से ऊपर बढ़ता जाए
अपनी ताकत का भी करना पड़ता है प्रदर्शन
जब क्षमा याचना कुछ काम ना आए
जब दुश्मन अपने इरादों से बाज ना आए
जब गलतियां बढ़ अपराध बन जाए
शक्ति से कर पथ प्रदर्शन विनय भाव का
और फिर क्षमा और शक्ति
दोनों के नेतृत्व में
एक बार फिर जीत अहंकार को
सही मार्ग दिखा अपने छोटे से संसार को
Loved this one Rashmi.. You have explained tso practically.. Keep going
Glad that you liked it. Thank you!
To err is human to forgive is divine but many times the bad keeps getting powerful simply because the good doesnt say anything. Kavita bahut khubsurat thi. To keep coming with such beautiful poems one has to have a beautiful soul.
#ContemplationOfaJoker #Jokerophilia
Thanks a lot for the lovely compliment:)
another beautiful post! loved it
Thank you dear!