पुस्तक – अर्धविराम – क्यूँकि सफ़र अभी बाकी है
लेखिका – प्रियंका जोशी नायर
रचना पद्दति – कविता
पृष्ठ संख्या – 70
प्रकाशक – नोशन प्रैस (Notion Press)
प्रियंका नायर की रचनायें विशेषतः मानसिक स्वास्थ्य जैसी संवेदनशील विषियों पर आधारित हैं। और यह काव्य संग्रह कवियत्री के मनोभाव और जीवन के उतार चढ़ाव को बड़े ही सज़ल सरल रूप में दर्शाता है। अर्धविराम शीर्षक भले ही अधूरा हो, पर पूर्णता का प्रतीक जान पड़ता है। इस काव्य संग्रह के प्रस्तावना में प्रियंका नायर स्वयं कहती हैं, “हर किसी के हाथों एक चाबी देदी अपनी जिसमें मेरे सुख और दुःख उनके हाथों लग गए। बड़ी देर से समझ आया की मेरी खुशियों की चाबी सिर्फ मेरे हाथों में ही जज्ती है।”
२६ कविताओं में गढ़ी यह पुस्तक ज़िंदगी के विभिन्न रुपों को उजागर करते हुए मुश्किलों से जूझने का साहस प्रदान करती है। पहली ही कविता में कवियत्री आत्मकथात्मक होते हुए कहती हैं, “मैं कलम का सहारा लेकर रोज सरहदें पार करती हूँ।मैं लेखक नही बस शब्दों की प्रेमिका हूँ…”। इस पुस्तक की कविताओं में इतनी व्यापकता है कि पंक्तियाँ भले ही कम क्यूँ ना हो पर भावनाओं का, होसलों का एक सागर छिपा जान पड़ता हो। दर्द और सन्नाटे में भी उमीदों की लहर दिखाई पड़ती हो। सरल शब्दों में पिरोई हुई प्रियंका जी की काव्य कला अत्यंत ही मन को प्रभावित करने वाली प्रतीत होती है।
यह कोई आम कहानी नहीं जिसे एक बार पढ़कर ख़त्म कर लिया जाए। यह पुस्तक हर एक उस पल में साथ आयेगी जहाँ आपके कदम लड़खड़ाते नज़र आएँगे, ज़िंदगी का दूसरा सिरा पकड़ा ना जा रहा हो, या फिर जब भी हालात करवट बदलते जान पड़ रहें हों। इसे पढ़ते वक्त कई बार ऐसा लगा जैसे कि यह कहानी मेरी अपनी हो, और कई बार ऐसा लगा कोई साथी है जो एक नई रोशनी की तरफ़ ले जाना चाहता हो। शायद इस पुस्तक के किसी ना किसी पन्ने में आप भी स्वयं की छवि देख सकते हैं, कहीं ना कहीं इन पृष्ठों में अपनी तकलीफ़ों का रुख़ मोड़ प्रेरणा से सराबोर हो सकते हैं। कुछ कविताओं की पंक्तियाँ मैं पुनः दोहराना चाहूँगी जहां कवियत्री ने सपनों के टूटने पर नहीं उनके अपने मौजूद होने पर गौर किया है।
बेज़ुबान – “पर ज़रा मेरे सपनों की शिद्दत तो देखिए की बिखरे पन्नों से भी बफ़ा की हवा आती है..
अभी मैं इस ज़िंदगी में मौजूद हूँ और मुझ में कुछ साँसें बाक़ी है”
आज़माइश – “यह जंग मेरी किसी ओर से नहीं ये मेरी खुद की खुद से आज़माइश है..
चाँद से मुझे कोई बैर नहीं पर मुझे पूरा आसमाँ पाने की ख्वाहिश है
अर्धविराम – “जहाँ मैं रुक सकती थी वहाँ मैंने चलना चुना..
जहां मैं पूर्णविराम लगाकर रुक सकती थी
वहाँ मैंने अर्धविराम लगाकर आगे लिखना चुना
कई और ऐसी दिल को छू लेने वाली कविताओं का संकलन है अर्धविराम, जो कि आपको अपने अर्ध में ही जीवन के पूर्णता का एहसास दिलाएगी। ‘अर्धविराम – क्यूँकि सफ़र अभी बाकी है’ को इसकी सरलता ऐवं इसमें छिपी जीवन की गहराई और सच्चाई से स्वयं को साझा करने के लिए अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए।
Thank you Rashmi..itne pyar bhare review ke liye
Your book deserves that!