छोटी सी आशा

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है देखो घनघोर अँधियारा है छाया 

मासूम सा दिल है फिर घबराया 

अमावस का लगता है ये सायां 

पर डर ना तू इस काली रात से 

है ये भोर से पहले की चुप्पी 

क्यों है तू उदास 

ना हो तू हताश 

थोड़ी देर में खिल उठेगा ये प्रकाश 

रवि निकलेगा किरणों पर हो सवार 

गाएँगे पंछी भी मधुर स्वर में गुणगान 

तू बस 

छोटी सी आशा का किरण लिए 

तारों की मद्धम रोशनी में ही सही 

आगे क़दम बढ़ाए जा 

भोर तो होगी ही 

तू बस आशाओं की लौ दिल में जलाए जा 

 

नैया मेरी मझधार में है फँसी 

लगता है आज फिर तूफ़ान है आया 

कैसे होगी कश्ती ये मेरी पार 

ना आए कुछ भी विचार 

ऐ नाविक 

ना कर मन को विचलित 

क्यों है तू चिंतित 

लहरों से लड़ जा 

तूफ़ानों से भिड़ जा 

हिम्मत ना हार 

हौसला रख 

तूफ़ान भी थमेगा 

किनारा भी मिलेगा 

तू बस 

छोटी सी आशा का किरण लिए 

उम्मीदों के पूल पर 

तूफ़ानों का दरिया पार किए जा  

मंज़िल दूर नहीं 

तू बस आशाओं की लौ दिल में जलाए जा 

 

चारों और धूँधला धूँधला सा है समाँ  

आता ना नज़र कुछ साफ़ 

पर ऐ राहगीर जान ले ये 

मान ले ये  

राह में होंगी मुश्किलें हज़ार 

क़िस्मत बदलेगी करवटें बार बार 

तू बस 

छोटी सी आशा का किरण लिए 

हर ओस की बूँद पर 

उम्मीद का नाम लिखता जा  

रास्ता खुलेगा एक दिन 

तू बस आशाओं की लौ दिल में जलाए जा 

तू बस आशाओं की लौ दिल में जलाए जा 

Rashmi Jain

Hi, I'm Rashmi. I'm here to experiment, explore, experience and express life and would like my readers to embark on this journey of Words along with me. Let's believe in the magic of Words.

This Post Has 2 Comments

  1. Amit

    As always, your poems are so inspiring and hence so good to read. Keep it up.

    1. Rashmi

      Glad that you liked it. Thank you ?

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