चले ले चलूँ तुझे जंगल की एक सैर कराने
वन में बसे जीव–जंतु से मिलाने
कहीं शेर की दहाड़
कहीं नागराज की पुकार
कहीं भेड़िए की चीख
तो कहीं हाथी की चिंघाड़
कहीं भालू पेड़ों के पीछे से गुर्राया
कहीं बंदर ने ली एक छलांग और ज़ोर से चिल्लाया
कहीं छोटा सा मेंढक पानी के बीच टरटराया
तो कहीं मगरमच्छ मुंह खोले घुरघुराया
पंछियां यहाँ पहली किरण की खबर लाएँ
रात में वन जुगनुओं की रोशनी से जगमगाए
और भी है कई क़िस्से
छिपे इस जंगल की शोर में
चले ले चलूँ तुझे जंगल की एक सैर कराने
दिखलाऊँ इसका एक और छुपा हुआ पहलू
जादू है इसके हर जन-जीवन में
हवा भी है देखो कितनी पावन
मनभावन है इसका चितवन
सुन भौरों की गुंजन
चहचहाहट चिड़ियों की
दिल खिल उठा उपवन सा
महक उठा मन का चमन
चंचल सी बहती नदी
चारों ओर फैली सोंधी सी खुशबू
अनगिनत वृक्षों का बसेरा यहाँ
सवेरा हो या अँधेरा
कई जीव-जंतु का डेरा यहाँ
आज़ादी की है महक इसकी हवा में
बँधा नहीं यहाँ कोई कानून से
सब मिलजुलकर यहाँ हैं रहते
ज़िंदगी को ही धर्म मानते
शेर चीता भालू हाथी
सब जंगल के हैं ये साथी
ना है कोई भेदभाव यहाँ
पानी की बहती धारा पर
सब का है हक यहाँ
पर मीलों दूर से कैसी यह शोर आई
जानवरों ने कहा
हम भी हैं एक दूसरे के सुख-दुख के साथी
पर इन शिकारियों में इंसानियत कहाँ
कौन मिटाए इन की भूख
इन शहरों की गलियों में
है बसा अँधेरा जंगल का
हम ही हैं इनसे भले
साँस लिए सुकून की रोशन किए अपना जहाँ
चले ले चलूँ तुझे जंगल की एक सैर कराने
घने वृक्षों की छांव में एक आशिया बनाने
🙂
woow! beautifully written
Thank you Vidhya!
“Kab Chalna hai”… 😀 😀
Really nostalgic for me. My father used to tell stories like this when we were kids.
#ContemplationOfaJoker #Jokerophilia
Bolo kabhi bhi!
I’ve spent my childhood amidst such a jungle, my friend!
KItna sunder nazara dikhaya aapne jungle ka apni kavita se..
Dhanyavad mere sang jungle ki sher par aane ke liye ?
Welcome 🙂
So true and how wonderfully written. Keep them coming 🙂
Thank you Rashi for your encouraging words?. Keep visiting.
Beautiful description of a jungle scenario.
Thank you for reading ?
And we live in the jungle of concrete and bricks with depleting forests. Beautiful poem
You summed it up well Sonia. Thanks for reading ?
What an interpretation of a jungle!Superb.
Thank you Deepika ?. Keep visiting.
Of course! I love to read poems. Intially I was not aware that you are writing poems.
Thank you ❤
कभी हिमालय की महानता
कभी मन की चंचलता
तो कभी जंगल की रहस्यता,
अद्भुत है तुम्हारी सोच
कहाँ से कहाँ जाती है पहुंच,
बखूबी करती हो बयां
बांध देती हो समा,
मोह लेती है हरदम
जादुई है तुम्हारी कलम।।
Wah! Wah! Kya baat kah di aapne..kavita ke hi madhyam se itni tareef kardi aapne..sayad isse badi tareef aur ho hi nahi sakti..tahe dil se shukriya aapka..
You deserve it fully dear kaviyatri 🙂
काश सब जंगल ऐसे हों। हम तो सीमेंट के जंगल में रहते हैं।
सही कहा आपने।