नारी हूँ नारी मैं (भाग 1)

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नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

हर घर की कहानी हूँ मैं
दरिया की रवानी हूँ मैं
मैं सम्मान हूँ तेरे निकेतन की
मैं रौनक़ हूँ तेरे आँगन की
मुझे गर्व है मेरे अश्तित्व पर
नाज़ है मुझे मेरे होने पर
जिस आईने में ख़ुद को तलाशे, वही वज़ूद हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

मेरी ही खोख से जन्मा है तू
मेरे ही साएँ में पला है तू
मेरा ही हिस्सा है तू
कैसे बदलेगा ये किस्सा तू
जान ले पहचान ले
ये ज़ीवन तेरा एक उपहार है
मान ले अब
ये भी मेरा तूझ पर एक आभार है
जिस मिट्टी से बनी है तेरी काया वही धरा हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

मुझे कैसे मिटाएगा तू
बहती हवा हूँ शीशे में कैसे क़ैद कर पाएगा तू
झूटा तू अहम् ना कर
कौरवों सा घमंड ना कर
पल में हो जाएगा ये वहम चूर
कब तक रखेगा स्वयं को सच्चाई से दूर
जिस बल पर है खड़ा तू वही आदि शक्ति हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं   

राख़ कर दे तन मेरा
फिर धुँआ बन उठ जाऊँगी
डोर मेरी काट दे
मंज़िल से जा टकराऊँगी
आशियाना छीन ले
जा दवात में ही बसेरा बसाऊँगी मैं
आग ना सही स्याही से ही अँगारे बरसाऊँगी मैं
जिस ताप में झोंका मेरे अरमानो को कई बार वही अग्नि हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

मुझे रोक ले लाख़ ये जहाँ
पैरों में बाँध ले बेड़ियाँ हज़ार
मेरे क़लम से निकले शब्दों को बाँधने की है ताक़त कहाँ
आँखों में सपने इतने बोये, निंदिया पिरोने की जगह कहाँ
खड़ा हुआ हिमालय सा जोश मेरा
दुल्हन बन निकला आज़ बन ठन संकल्प मेरा
अपने आप को ख़ुद से मिलाने का ठान आई हूँ मैं
जिसकी हर नज़र को है खोज़ वही मंज़िल हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

मुझे रोकेगा क्या ये ज़माना अब
चिंगारी तूने भरी है
अब धमाका होने से रोकेगा कौन
मुझे ख़त्म कर विनास कर मेरा
पर मेरे ख़्वाबों की बलि कैसे तू चढ़ाएगा
सोचता क्या है सोच में ही रह जाएगा
बदल ये सोच अपनी नहीं तो एक सोच बन रह जाएगा
जिस की करता है आराधना तू वही मूरत हूँ मैं 

नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं 

Rashmi Jain

Hi, I'm Rashmi. I'm here to experiment, explore, experience and express life and would like my readers to embark on this journey of Words along with me. Let's believe in the magic of Words.